अमीरात में किराये की वृद्धि में रोक लगाने पर डेन्यूब ग्रुप ने चिंता जताई है।
दुबई के सबसे बड़े संपत्ति निर्माताओं में से एक ये मानते हैं कि किराये की वृद्धि पर रोक किरायेदारों की मदद के लिए है मकान मालिकों के लिए नही।
अप्रैल 2021 में दुबई लैंड डिपार्टमेंट डी एल डी ने किराये पर आगामी रोक लगा दी आने वाले 3 सालों के लिए।
सरकारी विभाग को ये स्पष्ट करना बाकी है कि यह रोक कब तक चलेगी औए कौन से क्षेत्र व संपत्ति पर इसका असर पड़ेगा।हालांकि इस खबर ने पूरे अमीरात के मकान मालिकों को घबराने पर मजबूर कर दिया है।
डेन्यूब ग्रुप ऐसा मानता है कि किराये की वृद्धि बाजार के अनुसार एक सीमा में रहनी चाहिए और इस प्रक्रिया में दखल देना जैसे वृद्धि पर रोक तभी होना चाहिए जब स्थिति नियंत्रण के बाहर हो जाये और किरायेदारों को नुकसान पहुंचे।
दुबई का किराया बाजार वैसे ही कई नियमों और कानूनों के अंतर्गत है जिसमे मैक्सिमम ग्रोथ कैप 2005-06 में आया थे और कैप आन रिनेगोशियेशन 2013 में प्रस्तुत हुआ था।
उन वर्षों में क्षेत्र आपूर्ति और मांग के मामले में बुरी तरह से असंतुलित था।अमीरात सालाना 14 से 16 फीसदी की गति से वृद्धि कर रहा था और इस सब ने किराये की कीमतों को बहुत उछाल दिया।
दामों में सालाना वृद्धि 20 से 40 फीसदी तक थी जिसने अच्छी आय वाले परिवारों को भी कम कीमत वाले क्षेत्र से आपूर्ति करने पर विवश कर दिया।उस समय फ्रीहोल्ड संपत्ति के लिए कोई विस्तृत बाजार नहीं था। संपत्ति को लीज पर लेना या उसका स्वामित्व अधिकार पाना ही एकमात्र विकल्प था।
हालांकि 2016 स्थिति बदल गयी और आपूर्ति ने मांग को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया जिससे कि मकान मालिकों के किराया बढ़ाने का मुख्य उत्तोलक या साधन छिन गया। 2018-19 में अधिक आपूर्ति चरम पर थी जिसको सिर्फ 2020 में आई महामारी ने बिगाड़ या नुकसान पहुंचा दिया।
इन सब ने किराये के दामों को बेकाबू कर दिया लेकिन 2021 में स्थिति ने आखिरकार स्थिरता के लक्षण दिखाने शुरू कर दिए। और ये सब हुआ विदेशी निवेशकों और खरीददारों के बड़ी मात्रा में आवागमन से।
इन सबको देखते हुए,डेन्यूब ने निष्कर्ष निकाला कि इस समय पर किराये की वृद्धि पर रोक बाजार को स्वयं संतुलित नहीं करेगा और सिर्फ मकान मालिकों के हाथों में खेलेगा।
यह ताजा खबरों के माध्यम से स्पष्ट हो गया कि कई जमींदार ने पहले ही किरायेदारों के साथ कॉन्ट्रैक्ट्स पर मोलभाव करना शूरी कर दिया है , उनको किराया बढ़ाने पर मजबूर करते हुए। और यह अगले तीन सालों में सीमित कीमत पाने के लिए किया गया है।
तो, दुबई में मांग में कुल मिला के भरपाई सीमित और अत्यधिक महंगे किराये की मांग से ही हो पाएगी जो कि बाजार से खरीदारी को केवल विमुख ही करेगी।